राज कुमार सोनी
सागर। ‘मानव देह में मिली जिम्मेदारियों का पूरे ईमान-निष्ठा से निर्वहन कर लेने के बाद लोकधर्म को छोड़ भागवत धर्म को अपनाना ही सर्वोत्तम है, इसी में कल्याण है, मोक्ष है ‘, ये अमृत-उद्गार सुप्रसिद्ध कथाकार पं. मनोज व्यास ‘मधुर’ ने अंकुर कॉलोनी, मकरोनिया में आयोजित 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। वे शिंदे परिवार व्दारा यहां 12 से 18 जून तक हो रही कथा के प्रथम दिवस गोकर्ण-धुंधकारी का प्रसंग सुना रहे थे। कथा के यजमान निशा-दीपक शिंदे हैं। समारोह का समय रोजाना दोपहर 4 से शाम 7 बजे तक है। कथाव्यास ने इस अवसर पर कहा कि मनुष्य अमूमन 60 साल की उम्र तक अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी कर लेता है, तभी तो इस वय में वानप्रस्थ की व्यवस्था है।