Mumbai Uttar Pradesh

मुंबई के रुइया स्कूल ने फूंके जफराबाद अभियान में प्राण, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों की आवाज को भी दिया बल

न्यूज स्टैंड18 डेस्क
मुंबई।
बुधवार 26 अप्रैल को पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के जफराबाद के किले के जीर्णोद्धार अभियान में विलेपार्ले के बी एल रुइया हाई स्कूल के शिक्षकों ने प्राण फूंक दिया। उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को दिए जाने वाले ज्ञापन पर दस्तखत करते हुए स्कूल के उप प्राचार्य श्री दिनेश गायकवाड़ ने कहा, यह बड़ी प्रसन्नता की बात है कि पूर्वांचल के आर्थिक-औद्योगिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए काम कर रही संस्था पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने पूर्वांचल के इतिहास को जानने-समझने और ऐतिहासिक स्थलों की मैपिंग का काम शुरू किया है। पूर्वांचल देश का प्राण रहा है। पूर्वांचल से इतिहास की इस तरह की जो मैपिंग की जा रही है, और पुराने स्थलों को पुनः प्रतिष्ठित करने का जो काम शुरू किया गया है, उससे पूर्वांचल के सांस्कृतिक विकास को गति मिलेगी; और इसका समूचे देश पर असर पड़ेगा। ”

उल्लेखनीय है कि 1935 में स्थापित विलेपार्ले का बी. एल रुइया हाई स्कूल मुंबई में हिंदी शिक्षा का एक अति विशिष्ट केंद्र है। इसे स्थापित करने वाले श्री बृजमोहन रुइया बड़े प्रतिष्ठित समाजसेवी और हिन्दीसेवी थे। उनके बाद इस विद्यालय को श्री पुरुषोत्तम गोपीराम जी रुइया ने संभाला। उनकी भी बड़ी सामाजिक ख्याति थी। मुंबई के हिन्दीभाषी समाज के विकास में रुइया परिवार का बहुत विशिष्ट सामाजिक-शैक्षणिक योगदान रहा है। स्कूल की प्रबंध समिति के वर्तमान अध्यक्ष श्री राकेश रुइया भी पुरानी परंपरा का बहुत खूबी से निर्वहन कर रहे हैं।

इस स्कूल में अच्छे शिक्षकों की भी परंपरा रही है। पूर्व प्राचार्य दिवंगत श्री आई बी सिंह का बड़ा नाम था। उनका अनुशासन आदर्श माना जाता था। उन्होंने स्कूल को साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र बना दिया था। उनके बाद के दोनों प्राचार्य श्री एस एन दुबे और श्री मेवालाल प्रजापति का कार्यकाल भी काफी उल्लेखनीय रहा था। वर्तमान प्राचार्य श्री सूर्य प्रकाश पाठक भी उस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं। श्री सिंह के पहले के प्राचार्य डॉ. वल्लभ दास तिवारी और श्री देवेंद्र नाथ दुबे भी खूब मशहूर थे। इस स्कूल के कई शिक्षक श्री बी एस पाठक, श्री सालिग राम तिवारी, श्री हंसराज सिंह, डॉ. यदुनाथ चौबे आदि भी काफी मशहूर रहे हैं। लाइब्रेरियन श्री राम बचन राय भी खूब समाज प्रेमी रहे हैं।

इस हस्ताक्षर अभियान ने जफराबाद किले के जीर्णोद्धार को लेकर चल रही चर्चा में एक और अध्याय जोड़ा है। यह अध्याय इस बात का है कि सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक उपक्रमों में शिक्षकों और बुद्धिजीवियों, की आवाज को फिर प्रमुखता मिलनी चाहिए। यह आम धारणा है कि पिछले कुछ वर्षों में समाज में शिक्षक और बुद्धिजीवी वर्ग हाशिये पर चला गया है, और राजनीतिक द्वंद्व और सुविधापरस्ती चर्चाओं के केंद्र में आ गए है। वर्तमान समाज में जो अराजकता, उच्छृंखलता, अवसरवादिता, भ्रष्टाचार आदि फैले हैं, और लगातार फैलते चले जा रहे हैं, उसका एक बड़ा कारण समाज के बुद्धिजीवी,वर्ग की बात और विचार का हाशिये पर चला जाना ही है। इस हस्ताक्षर अभियान ने इस स्वर को मज़बूत किया है कि हाशिये पर चले गए इन लोगों की आवाज फिर बहाल होनी चाहिए।

पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के जफराबाद किले सम्बन्धी अभियान में अध्यापकों के जुड़ाव का संयोजन श्री रवींद्र सिंह कर रहे हैं। वे रुइया स्कूल में ही अध्यापक हैं। श्री रविंद्र सिंह कहते हैं, इस हस्ताक्षर अभियान में शामिल हो कर शिक्षक और बौद्धिक वर्ग ने सामाजिक-सांस्कृतिक अभियानों में अगुवाई करने की शुरुआत की है। यह पूरे देश के लिए एक सन्देश है।” श्री सिंह ने कहा कि, मुंबई के सभी हिन्दीभाषी स्कूलों में इस तरह का हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। पूरे पूर्वांचल में भी इस तरह के अभियान की तैयारी है। हमारी कोशिश समाज के प्रबुद्ध वर्गों को ज्यादा जागृत करने और उन्हें मुख्यधारा चर्चा के केंद्र में लाना भी है। कहें तो रुइया स्कूल से इसकी एक नीव पडी है। एक बीज मंत्र का उद्घोष हुआ है।

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